The Historic Kumbhalgarh Fort (ऐतिहासिक कुंभलगढ़ किला)

 The Historic Kumbhalgarh Fort 
K
umbhalgarh Fort is a 15th-century fort located in the Rajsamand district of Rajasthan, India. It is one of the largest forts in India, and is surrounded by a massive 36-kilometer-long perimeter wall. The fort is a UNESCO World Heritage Site, and is known for its strategic location, its impressive architecture, and its rich history.

. Kumbhalgarh was built by Rana Kumbha, the ruler of Mewar, in the early 15th century. The fort was built to protect Mewar from the invading Mughals, and it served as a stronghold for the Mewar rulers for centuries. The fort is also known as the "Great Wall of India" because of its massive perimeter wall.

. The fort is home to a number of temples, palaces, and other historical buildings. The most famous temple in the fort is the Mahadev Temple, which is dedicated to the Hindu god Shiva. The fort also houses the Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary, which is home to a variety of animals, including leopards, tigers, and wild boars.

. Kumbhalgarh is a popular tourist destination, and is known for its scenic beauty and its rich history. The fort is a great place to learn about the history of Rajasthan, and to experience the culture of the Mewar region.

Here are some other interesting facts about Kumbhalgarh Fort:

* The fort has a total of 7 gates, including the Ram Pol, which is the main entrance to the fort.

* The fort has a total of 360 temples, of which 300 are Jain and 60 are Hindu.

* The fort is home to a number of water tanks, which were used to provide water to the inhabitants of the fort during times of siege.

* The fort was never successfully captured by invaders, and it is considered to be one of the most impregnable forts in India.

History of Kumbhalgarh

The history of Kumbhalgarh Fort is a long and storied one. The fort was originally built in the 6th century by King Samprati of the Maurya Empire. However, the fort as we see it today was built by Rana Kumbha of Mewar in the 15th century. Rana Kumbha was a great warrior and a skilled architect, and he designed the fort to be one of the most impregnable in the world.

. The fort is located on a hilltop 1,100 meters (3,600 feet) above sea level in the Aravalli Range. The walls of the fort are 36 kilometers (22 miles) long and up to 30 meters (100 feet) high. The walls are so thick that they can accommodate two chariots abreast. The fort also has a number of bastions and towers, which provide excellent defensive positions.

. Kumbhalgarh Fort was never successfully captured by force. However, it was besieged a number of times, including by Alauddin Khilji in 1303 and Akbar the Great in 1576. Both of these sieges were unsuccessful, and the fort remained in the hands of the Mewar rulers.

. Kumbhalgarh Fort is also known for its religious significance. The fort contains a number of temples, including the Badal Mahal, which is a two-story palace that was built in the 16th century. The Badal Mahal is known for its beautiful murals and its panoramic views of the surrounding countryside.

. Kumbhalgarh Fort is a UNESCO World Heritage Site, and it is one of the most popular tourist destinations in Rajasthan. The fort is a testament to the power and ingenuity of the Mewar rulers, and it is a reminder of the rich history of Rajasthan.

Here are some other notable events in the history of Kumbhalgarh Fort:

  • 1540: Maharana Pratap, the legendary Rajput warrior, is born in the fort.
  • 1576: Akbar the Great besieges the fort, but is unable to capture it.
  • 1818: The fort is captured by the British, but is later returned to the Mewar rulers.
  • 1983: Kumbhalgarh Fort is declared a UNESCO World Heritage Site.

Today, Kumbhalgarh Fort is a popular tourist destination. Visitors can explore the fort's walls, temples, and palaces. They can also enjoy the stunning views of the surrounding countryside.

ऐतिहासिक कुंभलगढ़ किला

कुंभलगढ़ किला भारत के राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित 15वीं सदी का किला है। यह भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है, और 36 किलोमीटर लंबी विशाल दीवार से घिरा हुआ है। किला एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, और अपनी रणनीतिक स्थिति, प्रभावशाली वास्तुकला और अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है।


. कुंभलगढ़ का निर्माण मेवाड़ के शासक राणा कुंभा ने 15वीं शताब्दी की शुरुआत में किया था। यह किला मेवाड़ को हमलावर मुगलों से बचाने के लिए बनाया गया था और यह सदियों तक मेवाड़ शासकों के लिए एक गढ़ के रूप में काम करता रहा। अपनी विशाल परिधि की दीवार के कारण किले को "भारत की महान दीवार" के रूप में भी जाना जाता है।

. यह किला कई मंदिरों, महलों और अन्य ऐतिहासिक इमारतों का घर है। किले में सबसे प्रसिद्ध मंदिर महादेव मंदिर है, जो हिंदू भगवान शिव को समर्पित है। किले में कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य भी है, जो तेंदुए, बाघ और जंगली सूअर सहित विभिन्न प्रकार के जानवरों का घर है।

. कुंभलगढ़ एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। यह किला राजस्थान के इतिहास के बारे में जानने और मेवाड़ क्षेत्र की संस्कृति का अनुभव करने के लिए एक शानदार जगह है।

कुम्भलगढ़ किले के बारे में कुछ अन्य रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:

* किले में कुल 7 दरवाजे हैं, जिनमें राम पोल भी शामिल है, जो किले का मुख्य प्रवेश द्वार है।

* किले में कुल 360 मंदिर हैं, जिनमें से 300 जैन और 60 हिंदू हैं।

* किला कई पानी की टंकियों का घर है, जिनका उपयोग घेराबंदी के समय किले के निवासियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए किया जाता था।

* किला कभी भी आक्रमणकारियों द्वारा सफलतापूर्वक कब्जा नहीं किया गया था, और इसे भारत के सबसे अभेद्य किलों में से एक माना जाता है।

कुम्भलगढ़ का इतिहास


कुम्भलगढ़ किले का इतिहास काफी लम्बा और इतिहासपूर्ण है। किला मूल रूप से 6वीं शताब्दी में मौर्य साम्राज्य के राजा संप्रति द्वारा बनाया गया था। हालाँकि, आज हम जिस किले को देखते हैं, उसे 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के राणा कुम्भा ने बनवाया था। राणा कुंभा एक महान योद्धा और कुशल वास्तुकार थे और उन्होंने इस किले को दुनिया के सबसे अभेद्य किले में से एक बनाया था।

. किला अरावली रेंज में समुद्र तल से 1,100 मीटर (3,600 फीट) ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। किले की दीवारें 36 किलोमीटर (22 मील) लंबी और 30 मीटर (100 फीट) तक ऊंची हैं। दीवारें इतनी मोटी हैं कि उनमें एक साथ दो रथ समा सकते हैं। किले में कई गढ़ और टावर भी हैं, जो उत्कृष्ट रक्षात्मक स्थिति प्रदान करते हैं।

. कुम्भलगढ़ किले पर कभी भी बलपूर्वक सफलतापूर्वक कब्ज़ा नहीं किया जा सका। हालाँकि, इसे कई बार घेरा गया, जिसमें 1303 में अलाउद्दीन खिलजी और 1576 में अकबर महान शामिल थे। ये दोनों घेराबंदी असफल रहीं, और किला मेवाड़ शासकों के हाथों में रहा।

. कुंभलगढ़ किला अपने धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। किले में कई मंदिर हैं, जिनमें बादल महल भी शामिल है, जो एक दो मंजिला महल है जिसे 16वीं शताब्दी में बनाया गया था। बादल महल अपनी खूबसूरत भित्तिचित्रों और आसपास के ग्रामीण इलाकों के मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है।

. कुम्भलगढ़ किला एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, और यह राजस्थान के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह किला मेवाड़ शासकों की शक्ति और चतुराई का प्रमाण है, और यह राजस्थान के समृद्ध इतिहास की याद दिलाता है।

कुम्भलगढ़ किले के इतिहास की कुछ अन्य उल्लेखनीय घटनाएँ इस प्रकार हैं:

* 1540: महान राजपूत योद्धा, महाराणा प्रताप का किले में जन्म हुआ।

* 1576: अकबर महान ने किले को घेर लिया, लेकिन उस पर कब्ज़ा करने में असमर्थ रहा।

* 1818: किले पर अंग्रेजों ने कब्ज़ा कर लिया, लेकिन बाद में इसे मेवाड़ शासकों को वापस कर दिया गया।

* 1983: कुंभलगढ़ किले को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।


आज कुम्भलगढ़ किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। पर्यटक किले की दीवारों, मंदिरों और महलों को देख सकते हैं। वे आसपास के ग्रामीण इलाकों के शानदार दृश्यों का भी आनंद ले सकते हैं।

Post a Comment

0 Comments